छत्तीसगढ़ आर.टी.आई. संघ का उद्देश्य सूचना के अधिकार अधिनियम को ईमानदारी से लागू करवाना है, जिससे छत्तीसगढ़ राज्य में 100 प्रतिशत पारदर्शी व्यवस्था लागू हो तथा राज्य में केवल कानून का राज स्थापित हो !
छत्तीसगढ़ राज्य में सूचना के अधिकार अधिनियम की स्थिति ऐसा है कि किसी सामान्य व्यक्ति अथवा गरीब व्यक्ति को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाया जाता है तो उनसे आवेदन को ही नहीं लिया जाता और अपमानित करके भगा दिया जाता है !
अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद में तो सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाने वाले आवेदकों को तो धमकाया भी जाता है तथा आवेदकों पर उल्टा दोष आरोपित कर दिया जाता है जिससे आवेदकों को जानकारी लेने मे दिक्कतें होती हैं !
छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 80 प्रतिशत ऐसे भी जनसूचना अधिकारी हैं जो सूचना के अधिकार के आवेदनों की जानकारी ही नहीं देते और अपने कार्यालयीन पत्रों के द्वारा कोई न कोई बहाना या कारण बताकर या सूचना के अधिकार अधिनियम की गलत व्याख्या कर कुछ भी लिखकर के आवेदकों को भेज देते हैं !
उदाहरण के तौर पर वन विभाग के कुछ कार्यालय जैसे वन परिक्षेत्र कार्यालय गुरुर, वन परिक्षेत्र दल्ली, वन परिक्षेत्र उत्तर सिंगपुर, वन परिक्षेत्र बिरगुड़ी, वनमंडल कार्यालय दक्षिण कोंडागांव के जनसूचना अधिकारी तो कभी भी सूचना के अधिकार के आवेदनों की जानकारी नहीं देते, वहीँ नगर पालिक निगम रायपुर का तथा उनके जोन क्र. 5 तथा जोन क्र. 6 कार्यालय के जनसूचना अधिकारी भी जानकारी नहीं देते !
इसी तरह के लगभग 80 प्रतिशत प्रथम अपीलीय अधिकारी भी हैं जो प्रथम अपील के आवेदनों को बिना पढ़े बिना देखे-समझे अपना निर्णय दे देते हैं यहाँ तक अपने कार्यालयीन पत्रों पर अपना नाम, हस्ताक्षर भी जानबूझकर नहीं करते और निर्णय की कापी आवेदकों को भेज देते हैं !
इसी प्रकार लगभग 85 प्रतिशत द्वितीय अपील में लगाये गए आवेदनों के मामलों में का भी है जहाँ सूचना आयुक्तों के द्वारा निर्णय में कोई न कोई बहाना आवेदनों में त्रुटी या कमी बताकर आवेदन को ख़ारिज कर दिया जाता है जिससे जनसूचना अधिकारियों तथा प्रथम अपीलीय अधिकारियों द्वारा जानकारी प्रदान नहीं की जाती और इस कारण भ्रष्टाचार बढ़ जाता है !
इन पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग को ऐसे भ्रष्ट अधिकारीयों के ऊपर 25 हजार रूपये जुर्माना लगाकर आवेदकों को 1 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति धारा 19-8-ख के तहत देना चाहिए, वहीँ सूचना आयुक्तों की भर्ती पारदर्शी तरीके से करके 10 राज्य सूचना आयुक्तों तथा 1 और मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति किया जाए I इससे छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में चल रहे 2-3 साल की पेंडेंसी भी ख़त्म हो जाएगी !
सूचना के अधिकार अधिनियम को वर्ष 2005 में लागू किया गया था लेकिन 15 वर्ष बीत चुके हैं सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4-1-ख का पालन प्रदेश के किसी भी विभागों के द्वारा नहीं किया जा रहा है और न ही धारा 4-1-ख को लागू करवाया जा रहा है !
इन सब कारणों से छत्तीसगढ़ के आम जनता, किसान, मजदूर व गरीब वर्ग के व्यक्तियों को शासन द्वारा चलाये जा रहे योजनाओं की जानकारी पाने के लिए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेने के लिए वर्षों-वर्ष भटकना पड़ता है तब तक योजना ही बंद हो जाती है और उन शासकीय योजनाओं में आने वाले करोड़ों रूपये की धन राशि को भ्रष्ट नौकरशाह अपने जेबों में भर लेते हैं !
इसलिए अब आवश्यक हो गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में सूचना के अधिकार अधिनियम को सही तरीके से लागू करवाने के लिए हम सब एक होकर धरना-प्रदर्शन, आन्दोलन करें और छत्तीसगढ़ शासन को जागृत करें और छत्तीसगढ़ राज्य में पारदर्शिता लाकर कानून का राज स्थापित करें !
इसके लिए छत्तीसगढ़ के प्रत्येक नागरिक को जागरूक होकर छत्तीसगढ़ आर.टी.आई. संघ से जुड़कर समयदान देना होगा I जो नागरिक सूचना के अधिकार अधिनियम को बचाने के लिए समयदान कर सकते हैं उनका छत्तीसगढ़ आर.टी.आई. संघ स्वागत करती है !